शिव पुराण अनुसार देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने सूर्य देव के ताप ,चमक व अभेद राख को लेकर इसका निर्माण किया था | व इसे शिव जी को दे दिया , शिव ने विष्णु व विष्णु से देवताओ को यह मिला |
सुदर्शन चक्र की चमक प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है ,व उसके घूमने की गति समय का प्रतीक है | चन्द्रवंशी श्री कृष्ण को यह अग्निदेव के कहने पर वरुण देव ने दिया था | यह जिस पर भी प्रयोग किया जाता था , सुदर्शन चक्र के घूमने की गति के साथ समय ब्रह्माण्ड भी तेजी से घूमने लगता था , जिससे इस तरह जिस पर भी यह प्रयोग किया जाता था ,उसका समय पूरा हो जाता था |
इसका ही प्रयोग करके श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में समय को रोक कर अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था |
यह दिव्यास्त्र अचूक होता था ,जो हवा के संपर्क में आने पर भयंकर लपटे भी फेकता था |
देवता इसे बहुत ही गोपनीय रखते थे | तथा जरुरत पड़ने पर एक देवता इसे दूसरे देवी -देवता को दे देता था |
लेखक;- तप से ___रविकान्त यादव
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